सरकार अब कोताहीना करे

 मुंबई खतरे में है ? पर्यावरण + विशेषज्ञों को ऐसा अंदेशा है। " उन्होंने ध्यान दिलाया है कि मानसन के दौरान लगभग हर दिन धाराती की झग्गियों में पानी भरता रहा। यह एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती हैकी पानी भरने के कारण तटवर्ती शहर के ' इस हिस्से में रहने वाले लोगों की जान आफत में है। धारावी-वासियों का कहना है कि स्थिति हर साल बदतर सार सुर्खियां होती जा रही है। अधिकारियों ने उन्हें लालाचा हा अगर समुद्रतल बढ़ता है तो उनके घर का क्या होगा। गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र की एक भविष्यवाणी में कहा गया है कि दुनिया का तापमान बढ़ने की आशंकाए सच हुईं तो सागर का तल साल 2100 में _ एक मीटर तक बढ़ सकता है । एक रिपोर्ट के मुताबिक ऐसा होने पर मुंबई के करीब एक चौथाई हिस्से पर इसका असर होगा। सागर तल में महज 20 सेंटीमीटर यानी करीब 8 इंच का इजाफा भी मुंबई तट जैसे उष्णकटिबंधीय इलाकों में आने वाली बाढ़ जैसी आपदाओं को दुगुना कर देगा। मुंबई को ब्रिटेन की औपनिवेशिक सरकार ने कई छोटे-छोटे द्वीपों को जोड़ कर बनाया था। इसका बहुत-सा हिस्सा उच्च ज्वार की रेखा के नीचे है। मानसन के दौरान लगभग हर दिन धारावी की झुग्गियों में पानी भरता रहा। यह एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती है। जाहिर है, तटवर्ती शहर के इस हिस्से में रहने वाले लोगों की जान आफत में है। बारिश और तूफान के दौरान आने वाले अतिरिक्त पानी के लिए मैंग्रोव सीताराम जाला स्पंज की तरह काम करता है। लाखों की तादाद में खारे जल में उगने वाले पौधों और झाड़ियों को भी लगाया जा रहा है, ताकि उष्णकटिबंधीय ज्वारीय जंगल सागर की बढ़ती लहरों के लिए बफर जोन का काम कर सके। महाराष्ट्र सरकार ने मैंग्रोव को संरक्षित घोषित कर दिया है । इसके साथ ही गीली जमीन पर निर्माण को रोकने, झुग्गी बस्तियों को हटाने और दीवारों के निर्माण का अधिकार मिल गया है। अब 30 हजार हेक्टेयर से ज्यादा इलाके में मैंग्रोव हैं। 2015 से 2017 के बीच राज्य में मैंग्रोव वाले इलाके को करीब 82 फीसदी बढ़ाया गया। लेकिन पर्यावरणवादी कहते हैं किरार कटा शाखा गया है। दरअसल, मैंग्रोव जरूरी हैं, लेकिन ड्रेनेज के प्राकृतिक तरीके जैसे कि नदियां और खाड़ी भी जरूरी हैं। सरकार को ऐसे सुझावों पर तुरंत गौर करना चाहिए, वरना भारत के सबसे आधुनिक शहर के लिए खतरा बढ़ता जाएगा।



Popular posts
कोरोना वायरस को लेकर मास्क सहित तमाम सुरक्षा उपकरणों की मांग को लेकर हर अस्पताल में डॉक्टर, नर्स और पैरामेडिकल स्टाफ शिकायतें कर रहे हैं। ऐसे में मंगलवार को दिल्ली एम्स ने एक सर्कुलर जारी करते हुए सभी स्वास्थ्य कर्मचारियों को एन-95 मास्क उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।
लॉकडाउनः कैसे टूटेगी कोरोना की साइकिल? घर जाने के लिए उमड़ा प्रवासी मजदूरों का जन सैलाब
साथ ही एम्स प्रबंधन ने कहा है कि एक मास्क को 20 दिन तक इस्तेमाल करना है। इसे चार बार इस्तेमाल में लाया जा सकता है। डॉक्टरों व स्टाफ कि शिकायत थी कि कोरोना वायरस का उपचार कर रहे डॉक्टरों को मास्क भी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है।
ऐसे में वह कैसे इलाज करेंगे? एम्स के चिकित्सीय अधीक्षक डॉ. डीके शर्मा ने मास्क उपलब्ध करवाने का आदेश जारी कर दिया। आदेश के तहत अस्पताल के सभी डॉक्टरों को विभाग अध्यक्ष द्वारा, सभी नर्स व टेक्निकल स्टाफ को डीएनएस व एएनएस के माध्यम से और मेंटेनेंस में लगे कर्मचारियों को नर्सेज के माध्यम से पांच-पांच मास्क उपलब्ध करवाए जाएंगे।
Defense Expo 2020: पीएम नरेंद्र मोदी बोले- दुनिया की दूसरी बड़ी सेना कब तक इम्पोर्ट के भरोसे बैठती