इस बात के लिए हमें गाँधी के 'राजनीतिक उत्तराधिकारी' पंडित जवाहरलाल नेहरु का शुक्रगुजार होना चाहिए कि जिन्होंने भारत में शिक्षा और उच्च-शिक्षा की ऐसी बुनियाद रखी जिसकी ईंटें समाजवादी आंवे में पकी थीं। कहना न होगा कि इस बुनियाद पर खड़े होकर अखिल भारतीय स्तर पर हम एक ऐसे समाज और संस्कृति का निर्माण करने में कामयाब हो सके, जो आज भी अपने विचारों में अधिक से अधिक प्रगतिशील, जनतांत्रिक, सेकुलर और तर्कवादी है। आज बदली हुई सत्ता के इस दौर में सबसे भीषण हमला इसी शिक्षा और इन्हीं मूल्यों पर है, जिसे खून पसीना बहाकर हमारे पूर्वजों ने बड़े परिश्रम से अर्जित किया था। देश के बुद्धिजीवियों के सामने आज का सबसे जरूरी काम इसकी रक्षा की है।
इस बात के लिए हमें गाँधी के 'राजनीतिक उत्तराधिकारी' पंडित जवाहरलाल नेहरु का