लखनऊ. समाजवादी पार्टी (Samajwadi party) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने भाजपा (BJP) नेताओं के बयानों की भाषा को लेकर कड़ी आपत्ति जताते हुए उन्हें जमकर निशाने पर लिया है. उनकी मांग है कि ऐसे नेताओं पर कार्रवाई करके उन्हें आजीवन चुनाव लड़ने से वंचित कर दिया जाना चाहिए. यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि 'भाजपा के जनप्रतिनिधियों का हिंसक वाचन एक भयावह स्थिति है. निम्नस्तरीय भाषा का इस्तेमाल न केवल छुटभइये नेता कर रहे हैं, बल्कि भाजपा के मंत्री भी वही भाषा बोल रहे हैं. 'डंके की चोट पर'... 'बोली के बदले गोली' और 'गोली मारो........' के साथ ही अब भाजपाई धुरंधर आजादी की लड़ाई (Freedom fight) के इतिहास को भी बिगाड़ने में लग गए हैं.'
भाजपा-आरएसएस को सबक लेना चाहिए!
अखिलेश यादव ने भाजपा नेता अनंत हेगड़े (Anant Kumar Hegde) के महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) पर दिए बयान पर क्षोभ जताते हुए कहा कि 'गांधी जी के नेतृत्व में जिस आजादी के लिए लाखों लोगों ने कुर्बानी दी उसे भाजपा के एक सांसद को अंग्रेजों की सहमति से नाटक बताते शर्म नहीं आई'. अखिलेश ने भाजपा पर यह भी आरोप लगाया कि बीजेपी नेताओं की नफरत भरी बयानबाजी के चलते कुछ युवा गुमराह होकर उन्मादी हो रहे हैं. अखिलेश यादव ने कहा 'आज के सत्ताधारी जिस प्रकार समाज को नफरत से भर रहे हैं उसी का ये दुष्परिणाम है कि कुछ नौजवान असलहों के साथ साम्प्रदायिक उन्माद का प्रदर्शन करने लग गए हैं. राजनीति द्वारा पोषित इस घृणा से युवाओं में जो भटकाव आ रहा है, वह समाज और राष्ट्र की चिंता का विषय है. भाजपा-आरएसएस को इसके दुष्परिणामों से अभी से सबक लेना चाहिए'.अखिलेश यादव ने दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर जिस तरह से सियासी पार्टियों ने अलग-अलग तौर-तरीके से बयान जारी किए हैं उस पर भी कटाक्ष करते हुए कहा कि 'दिल्ली के चुनावों में भाजपाई बदजुबानी कुछ ज्यादा ही बढ़ गई है. इससे साबित होता है कि भाजपा अपनी साख और जमीन दोनों खोती जा रही है. भाषा के स्तर में गिरावट राजनीति में घटिया सोच और संकीर्ण मानसिकता को उजागर करती है. माननीय उच्च न्यायालय और चुनाव आयोग को बिगड़े बोलों का संज्ञान लेकर तुरन्त दंण्डात्मक कार्यवाही करनी चाहिए.'
भड़काऊ बयान देने वालों पर लगे आजीवन प्रतिबंध
अखिलेश यादव ने मांग की है कि 'जरूरी तो यह है कि जानबूझकर भड़काऊ बयान देने वाले ऐसे असामाजिक तत्वों की संसद या विधानमंडल की सदस्यता रद्द करके इन पर सदैव के लिए प्रतिबंध लगाना चाहिए. साथ ही आगामी चुनावों में उन विषयों की सूची चुनाव आयोग (Election commission) को पहले से ही जारी करनी चाहिए जिन पर बोलने से दोषी की उम्मीदवारी रद्द हो जाए'.